Media Production - Patna, Bihar, India
दुनिया के पहले लोकतंत्र की जमीन से हैं हम. मकसद डेफिनीट है. लोक (PEOPLE) को तंत्र (SYSTEM) से जोड़ना.देह की सत्ता कितनी भी प्रभावी हो जाए, बनारस के उन घाटों पर औकात में आ जाती है जिनसे विचरते हुए हमने DPILLAR की नींव रखी.यकीन मानिए ! आदिवासी निराशावादी नहीं हैं, हमारे शेष जीवन के वाहक हैं. उन्हीं से होकर आए हैं हम. उनके लिए लड़ेंगे, खुद से लड़ने के वास्ते.हमें भी पता है कि सिस्टम थेथर हो गया है. बहुत बेरहम भी. हम भगत सिंह को कड़ी बनाएंगे. बिस्मिल, बोस, आजाद और अशफाक को ढूंढ़ लाएंगे.क्रान्ति ना लेफ्ट में होती है, ना राइट में. बीच का रास्ता भी होता है. जब पटना से फरियाया जा सकता है तो दिल्ली और बंबई से क्यों लड़ें !इंतजार तकलीफदेह होता है. हमें खयाल है इस बात का भी. डिजिटल इंडिया कभी नहीं होगा, जो भी होगा वो भारत का नागरिक होगा.हर गली- हर गांव से, हर शहर- हर ठांव पर कोई भगत होगा. फिर से संसद में पर्चे लहराए जाएंगे. ताज हिलाए जाएंगे. कोई कुंदन प्रेम लिखेगा. वो कामरेड भी होगा जिसके संग ही में किसी महापुरुष का अवतरण होगा. समाजवादी लड़का ऐसा होगा जिसमें लोहिया और जेपी भी उतने ही रमते हैं जितने मुलायम और लालू. ईस्ट-वेस्ट, जाति-धर्म, अमीरी-गरीबी और रंग-कौशल के लफड़े से दूर एक और भी लड़का होगा जो इतिहास लिखेगा.कल्पना करिए. ऐसी D for Democracy कैसा P for Pillar बनाएगी. चलिए बनाते हैं DPILLAR.