Online Media - Chhapra, Bihar, India
सैकड़ो न्यूज़ चैनल्स... हजारों स्थापित अखबार और लाखों न्यूज पोर्टल्स से ठसासठस भरे पत्रकारिता क्षेत्र में अक्षम जनतंत्र की आवाज़ वाले की कोई खास जरूरत समझ नहीं आती... बनस्पत इसके रोजाना सैकड़ो बुद्धिजीवी जो खुद को शब्दों का धनी मान कर... इस क्षेत्र में अपनी किस्मत का सिक्का चमकाने के लिए पत्रकार बन बैठते हैं... और मुम्बई लोकल जैसी भीड़ में... नटराज की मुद्रा में खुद को सेट भी कर ही लेते हैं...जो स्थापित हैं... उन्ही को पढ़ने और सुनने के लिए आम जन के पास समय की गजब कमी है... ऐसे में फ्रेश कलमकार का इस क्षेत्र में आ धमकना यकीनन कोई खास जरूरी नहीं लगता है... लेकिन खुद को पढ़वाने की सुगबुगाहट में नये रचयिताओं की फौज कलम का ढक्कन खोले... दाद देने वालों के इंतजार में दोहरी हुई जा रही हैं...ऐसे में आप मुझसे कहेंगे की जब पाठकों की इतनी घनघोर कमी है तो अंधकुओं से भरे इस अंधेरे शहर में मसाल लेकर क्यों कफन ओढ़ने पर तुले हो...?जवाब हैं... की...आगे जानने के लिए लिंक पर क्लीक करें-https://jantantraonline.in/
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