मोंगाबे-हिन्दी पर्यावरण और संरक्षण समाचार एवं फीचर सेवा है। इसका उद्देश्य प्रकृति से जुड़े ज़रूरी मुद्दों पर उच्च कोटि की ख़बरें प्रकाशित करना है। मोंगाबे-इंडिया और मोंगाबे डॉट कॉम के अंग के तौर पर इस समाचार पोर्टल का उद्देश्य हिन्दी-भाषी समाज में पर्यावरण और प्राकृतिक संपदा के संरक्षण को लेकर सार्थक बहस को प्रोत्साहित करना है।वन और वन्यजीवों से अपने विशेष लगाव और इनसे जुड़े मुद्दों को मंच देने के लिए रेट ए. बटलर ने 1999 में मोंगाबे डॉट कॉम की स्थापना की। मैडागास्कर के एक सुंदर द्वीप के नाम से प्रेरित होकर इन्होंने इसका नाम मोंगाबे रखा।आज मोंगाबे विश्व के उन चुनिंदा संस्थानों में शुमार है जो अलग-अलग भाषाओं में प्रकृति और पर्यावरण के मुद्दे पर विश्वसनीय पत्रकारिता कर रहे हैं। विश्व में वर्षा-वन (रेनफॉरेस्ट) और पर्यावरण से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराने में आज मोंगाबे को एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। वर्तमान में, मोंगाबे नौ भाषाओं में प्रकाशित होता है। करीब 80 लाख लोग प्रति माह मोंगाबे की वेबसाइट पर पर्यावरण से जुड़ी ख़बरें पढ़ते हैं।फिलहाल 16 देशों में इस संस्था के स्टाफ कार्यरत हैं और 80 देशों में करीब 700 पत्रकार इससे जुड़े हैं। कई स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान मोंगाबे में प्रकाशित सामग्री को पुनः प्रकाशित करते हैं। इनमें द इकॉनॉमिस्ट, ब्लूमबर्ग, नेशनल ज्योग्राफिक और एसोसिएटेड प्रेस जैसी संस्थाएं शामिल हैं।इंडोनेशिया, भारत, अमेरिका, स्पैनिश बोलने वाले लैटिन-अमेरिका और ब्राज़ील में आज मोंगाबे के ब्यूरो सक्रिय हैं। अपनी सटीक पत्रकारिता की वजह से नागरिक समाज और विकास के क्षेत्र में सक्रिय संस्थानों के बीच मोंगाबे को एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में भी व्यापक मान्यता मिली हुई है।वर्ष 2018 में मोंगाबे-इंडिया की शुरुआत हुई जिसका उद्देश्य भारत विशेष खबरों को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित करना है। इसी क्रम में 2020 में मोंगाबे-हिन्दी की शुरुआत हुई।